टूटा बंधन
सूखे बेल के पत्ते कभी वृक्ष नहीं हरा करते।सरोवर अपने पानी से सागर नहीं भरा करते।व्यक्ति से व्यक्ति की गरिमा […]
सूखे बेल के पत्ते कभी वृक्ष नहीं हरा करते।सरोवर अपने पानी से सागर नहीं भरा करते।व्यक्ति से व्यक्ति की गरिमा […]
कदाचित हो संभव तेरे बगैर मैं जी सकूतो होगी ज़िंदगी पर ज़िंदगी में मैं नहीं।तुम्हे क्या खबर कि कितने सागर
सुनो यारो कि क्या मुझको नहीं लगती।किसी की भी वफ़ा मुझको नहीं लगती। मुझे बीमार तू कर तो गया
सभी होश में हैं मगर मैं नहीं।उधर तुम नहीं हो इधर मैं नहीं। तिरे इश्क़ में ये किधर खो
जिसे भी होता है उसको पता नहीं होता। किसी का ईश्क़ किसी का ख़ता नहीं होता। हिसाब रखता है बहुत
वर्षों ह्रदय में पीर रहे हैंअभी तो नैन से नीर बहे हैंसोता जग जब मैं जगता हूँखुद को बोझ सा
लिये इसके बहार नहीं हैकाँटों को भी प्यार नहीं हैजब देखो आ जाता सिंधु,खाली-खाली इन नैनन में।कैसा फूल खिला उपवन
जो कुछ मिला है प्यार में कहता है हम को बांट दे। मुमकिन नहीं है आदमी ऐ यार ग़म
एक कमरे में कर ले बसर। और फिर तू उधर मैं इधर। बा-वफ़ा गम भी तू खूब है,
देर तक आसमां बरसता है। टूटकर जब कोई बिखरता है। आ भी जाओ तुम्हें कसम मेरी,