प्यार कर के जुबां कर दे।
प्यार कर के जुबां कर दे।और हम सब गुनां कर दे। जान जाती ‘है’ ना से भी,जां रहे ना […]
प्यार कर के जुबां कर दे।और हम सब गुनां कर दे। जान जाती ‘है’ ना से भी,जां रहे ना […]
कुछ सितम भी चाहिए महफिल में नहीं तोकौन रहता है किसी के दिल में नहीं तो एक तन्हाई ‘ही’
कभी हम दिल लगा के जी लिये।कभी हम दिल दुखा के जी लिये। जमाने भर ‘से’ क्या ले ना हमे,कि
खुद से मुकर रहा हूँ मैं।हद से गुज़र रहा हूँ मैं। जीता रहा ‘हूँ’ मर मर के,कहते ‘है’ डर रहा
आसमाँ से कोई ज़मीं निकले।शब्ज़ आँखों से फिर नमी निकले। जुगनुओं को मैं याद करता हूँ,जब चराग़ों से
यूँ किसी के प्यार में क्यूँ उलझें।उन ‘से’ हम बेकार में क्यूँ उलझें। लोग काफी हैं दुखाने को दिल,आपसी तकरार
टूटे दिल के टुकड़ों का सारा पैग़ाम था आख़िर में।हमने ख़त को देखा उसमें मेरा नाम था आख़िर में। मंज़िल
जिगर में प्यास हो तो अच्छा लगता है।समंदर साथ हो तो अच्छा लगता है। चली जाना जिधर चाहो ऐ मेरी
सबको सबकुछ रहबर नहीं देतादिल देता है तो घर नहीं देता कोई मख़मल पे सो नहीं पाताकुछ नींदो को
नाम से तेरे सौ बार तोड़ा हमनेएक ही दिल को कइ बार तोड़ा हमने। टूटती है इक शै रोज अब