सर्दी
गरीबी लड़ती रही ठंडी हवाओं से,अमीरों ने कहा,क्या मौसम आया है। चिथड़ों में लिपटा, वो कांपता रहा,हर सांस में जीवन […]
गरीबी लड़ती रही ठंडी हवाओं से,अमीरों ने कहा,क्या मौसम आया है। चिथड़ों में लिपटा, वो कांपता रहा,हर सांस में जीवन […]
मैं मेरे बयानात से फिर जाऊँ, नहीं कसम है मुझे मेरी जजबातों की।बहकती निगाहो की कसम हैतड़पती आहों की कसम
पड़ रही इस तरह गले दुनिया।मार डाले नहीं मुझे दुनिया। दफ़-अतन अजनबी हूँ मैं खुद में,आपके
न जाने कितने मौज हिलोरे ले रहे थे मुझ मेंजब बैठा मौन हो शांत कुछ दिनफिर ठहरा खुद के अंदर।हाँ
मन की व्यथा भावनाओं का संसार है।किंचित् मात्र भी तुमसे नहीं किसी को प्यार है।व्यर्थ की आस लिये हुए चलते
इमानदारी की भट्टी में जलते हैं कुछ लोगकुछ लोग जिनके चुल्हे गर्म नहीं होतेवो लोग जिनके घर दीवाली में पटाखे
बेख़ौफ़ ही घूमा करते हैंजो बादल घना करते हैंअँधेरों के मसीहा हैं जितने,अब सूरज बना करते हैं जाने किस नज़रिये