वफ़ा कहीं भी किसी से कोई नहीं करता।
है ऐसा काम जो अब आदमी नहीं करता।वफ़ा कहीं भी किसी से कोई नहीं करता। मुझे नहीं थी ख़बर […]
है ऐसा काम जो अब आदमी नहीं करता।वफ़ा कहीं भी किसी से कोई नहीं करता। मुझे नहीं थी ख़बर […]
ऐसा नहीं कि तुम ही सबसे महान बनना।पहले जमीन बनना फिर आसमान बनना। यह भी नहीं कि कुछ बनना
पड़ रही इस तरह गले दुनिया।मार डाले नहीं मुझे दुनिया। दफ़-अतन अजनबी हूँ मैं खुद में,आपके
पड़ रही इस तरह गले दुनिया।मार डाले नहीं मुझे दुनिया। दफ़-अतन अजनबी हूँ मैं खुद में,आपके बाद यूँ लगे दुनिया।
सजाए बैठे हैं हम रात की महफ़िल।कि है तू ही नहीं किस बात की महफ़िल।सभी किस्से सभी सौग़ात की
सुनो यारो कि क्या मुझको नहीं लगती।किसी की भी वफ़ा मुझको नहीं लगती। मुझे बीमार तू कर तो गया
सभी होश में हैं मगर मैं नहीं।उधर तुम नहीं हो इधर मैं नहीं। तिरे इश्क़ में ये किधर खो
जिसे भी होता है उसको पता नहीं होता। किसी का ईश्क़ किसी का ख़ता नहीं होता। हिसाब रखता है बहुत
जो कुछ मिला है प्यार में कहता है हम को बांट दे। मुमकिन नहीं है आदमी ऐ यार ग़म
एक कमरे में कर ले बसर। और फिर तू उधर मैं इधर। बा-वफ़ा गम भी तू खूब है,