इमानदारी की भट्टी
इमानदारी की भट्टी में जलते हैं कुछ लोगकुछ लोग जिनके चुल्हे गर्म नहीं होतेवो लोग जिनके घर दीवाली में पटाखे […]
इमानदारी की भट्टी में जलते हैं कुछ लोगकुछ लोग जिनके चुल्हे गर्म नहीं होतेवो लोग जिनके घर दीवाली में पटाखे […]
बेख़ौफ़ ही घूमा करते हैंजो बादल घना करते हैंअँधेरों के मसीहा हैं जितने,अब सूरज बना करते हैं जाने किस नज़रिये
जीवन में रफ़्तार नहीं है।तुझमें कोई धार नहीं है।बस आगे बढ़ना भूल गया,आदमी तू बेकार नहीं है। बाधाएँ सफ़र में
वो ना मेरा था कभीमुझसे था जुड़ा कभीचल दिया जो छोड़ करदिल से दिल को जोड़ करदिल को मेरे तोड़
पड़ रही इस तरह गले दुनिया।मार डाले नहीं मुझे दुनिया। दफ़-अतन अजनबी हूँ मैं खुद में,आपके बाद यूँ लगे दुनिया।
दूर क्षीतिज के पार कही अनंत में है वो खड़ायूँ लगता है कि बुला रहा है वो मुझे,वो जो
दोस्तों जैसे कि आप सभी को पता है कि इससे पहलेवाले एपिसोड यानी ग़ज़ल लिखना सीखे भाग-4 में हमने
सजाए बैठे हैं हम रात की महफ़िल।कि है तू ही नहीं किस बात की महफ़िल।सभी किस्से सभी सौग़ात की