मुक्तक
छल माया अविचल प्रबल, गरल नेह संसार।सहज सत्य परब्रह्म सुख,भज मन तू निर्विकार।। छल माया अविचल प्रबल, गरल नेह संसार।सहज […]
छल माया अविचल प्रबल, गरल नेह संसार।सहज सत्य परब्रह्म सुख,भज मन तू निर्विकार।। छल माया अविचल प्रबल, गरल नेह संसार।सहज […]
नाम सुनाम करें जग में शिव|प्रीत सुधा हिय में नटनागर|| मोहकता मकरंद मनोहर |ध्यान धरे मन
कहें कैसे कि मेरे नैन तर नहीं होते।किसी की याद में हम रातभर नहीं सोते। नहीं मालूम कब हम
सुना है सबको भा चुका हूँ मैं।बहुत ठोकर अब खा चुका हूँ मैं। उडा करता था आसमां में पर,जमीं
1.सुना है तुम अकेले में बहुत फ़रयाद करती हो।नहीं हूँ मैं कहो तुम अब किसे बर्बाद करती हो।बिछड़कर भूल जाना
दिल में गर्दिश-ए-चमन भरते हैं।हम अपने होने ‘का’ दम भरते हैं। खुश रह लेंगे आज दुःख है तो कल,हर दिन
मिलता है मुझे और फिर मेरे इधर नहीं देखता।अब वो शख़्स मुड़ के कभी भी इक नज़र नहीं देखता। मसला
मैं मेरे बयानात से फिर जाऊँ, नहीं कसम है मुझे मेरी जजबातों की।बहकती निगाहो की कसम हैतड़पती आहों की कसम