टूटे दिल के टुकड़ों का सारा पैग़ाम था आख़िर में।
टूटे दिल के टुकड़ों का सारा पैग़ाम था आख़िर में।हमने ख़त को देखा उसमें मेरा नाम था आख़िर में। मंज़िल […]
टूटे दिल के टुकड़ों का सारा पैग़ाम था आख़िर में।हमने ख़त को देखा उसमें मेरा नाम था आख़िर में। मंज़िल […]
जिगर में प्यास हो तो अच्छा लगता है।समंदर साथ हो तो अच्छा लगता है। चली जाना जिधर चाहो ऐ मेरी
सबको सबकुछ रहबर नहीं देतादिल देता है तो घर नहीं देता कोई मख़मल पे सो नहीं पाताकुछ नींदो को
सबसे पहले हम यह समझ ले कि मुक़्तक है क्या?सीधे तौर पे कहें तो चार पंक्तियों का ऐसा समूह
“ए! रमैय्या! क्या सच में ही उस जादू के बक्से में परियों का नाच होगा?”“तेरा सिर! अभी से क्यूं
पार्वती की घनिष्ठ मित्र मीनाक्षी ने एक दिन उनसे कहा,पारो!चलो…एक साहित्यिक गोष्ठी में चलते हैं,तुम्हारा मन बदल जाएगा। बच्चे
सीधी डग र पिया के घर कीजोड़ दिए तुम मोड़ डगर में।भ्रम का तन भटकन का अचकनपहन लिए तुम सरल
देख रहा इस भू तल में नित , देहिक मोह सदैव लुभाये !राग भरा चित घोल रहा रस , स्वप्न