आज फिर सनम हमे उदास रहने दीजिए।
आज फिर सनम हमे उदास रहने दीजिए।दर्द भी सनम जिगर ‘के’ पास रहने दीजिए। इश्क़-विस्क छोड़ मौत की यहीं […]
आज फिर सनम हमे उदास रहने दीजिए।दर्द भी सनम जिगर ‘के’ पास रहने दीजिए। इश्क़-विस्क छोड़ मौत की यहीं […]
अपने आँखों के मोती को चुन-चुन उठा लूं मैं।रुकना यारों थोड़ा कुछ ‘औ’भी चोट खा लूं मैं। मेरे पलकों
दिन की बातों पे रात टाली है।यूँ हर ख्यालों में बेख़याली है। मिलता हरदम हूँ मैं हजारों से,दिल का कमरा
ग़म ये दिल में पले और तू आए।दिल की बस्ती जले और तू आए। आईने की तरह सच कहे कोई,फिर
प्यार कर के जुबां कर दे।और हम सब गुनां कर दे। जान जाती ‘है’ ना से भी,जां रहे ना
कुछ सितम भी चाहिए महफिल में नहीं तोकौन रहता है किसी के दिल में नहीं तो एक तन्हाई ‘ही’
कभी हम दिल लगा के जी लिये।कभी हम दिल दुखा के जी लिये। जमाने भर ‘से’ क्या ले ना हमे,कि
खुद से मुकर रहा हूँ मैं।हद से गुज़र रहा हूँ मैं। जीता रहा ‘हूँ’ मर मर के,कहते ‘है’ डर रहा
आसमाँ से कोई ज़मीं निकले।शब्ज़ आँखों से फिर नमी निकले। जुगनुओं को मैं याद करता हूँ,जब चराग़ों से
यूँ किसी के प्यार में क्यूँ उलझें।उन ‘से’ हम बेकार में क्यूँ उलझें। लोग काफी हैं दुखाने को दिल,आपसी तकरार