तू मुझे फिर अजनबी लगने लगा।
जिस’का डर था बस वही लगने लगा। तू मुझे फिर अजनबी लगने लगा। हम अलग इतना लगे रहने कि फिर, […]
जिस’का डर था बस वही लगने लगा। तू मुझे फिर अजनबी लगने लगा। हम अलग इतना लगे रहने कि फिर, […]
यही है सच तिरा हो भी नहीं सकता। सितम है क्या तुझे खो भी नहीं सकता। किसी की याद अब
नैन से नैन का ख़ुलासा है। सब पता चल गया तू प्यासा है। एक दिन साफ़ सब हो जाएगा, जिस्म
मेरी चेतना का चिंतन तुम्हीं हो मित्रता की मिठास तुम्हीं हो ! प्रेम का अनुराग तुम्हीं हो मेरे धैर्य की
भटक रही थी मैं अकेली आसमान में, भरे हुए थे अधूरे अरमान दिल में। मेरा न जिस्म था न कोई
मेरा नाम,एक गुमनाम शब्द या चहदीवारों से झाँकता एक जागता स्वप्न ढूँढ नहीं पा रहा। मेरा नाम खुद की एक
लगता है बहुत गुमान रखते हैं। अपनी मुट्ठी में हमारी जान रखते हैं। बड़े बेख़बर होकर घूमते
शाइरी लिखना कोई बच्चों का खेल नहीं; लेकिन इतना श्योर है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आज से