तुम जैसे यार हज़ारों हैं
ओ कलि कुसुम के भँवरे! क्यूँ भूल गया तू एक नहीं? तू जिस फूल पे है उस पर निश्चित […]
ओ कलि कुसुम के भँवरे! क्यूँ भूल गया तू एक नहीं? तू जिस फूल पे है उस पर निश्चित […]
हँसाती नहीं भी रुलाती नहीं। वफ़ा की लगी दूर जाती नहीं। मेरे यार किस्सा ये