मित्रता
मेरी चेतना का चिंतन तुम्हीं हो मित्रता की मिठास तुम्हीं हो ! प्रेम का अनुराग तुम्हीं हो मेरे धैर्य की […]
मेरी चेतना का चिंतन तुम्हीं हो मित्रता की मिठास तुम्हीं हो ! प्रेम का अनुराग तुम्हीं हो मेरे धैर्य की […]
भटक रही थी मैं अकेली आसमान में, भरे हुए थे अधूरे अरमान दिल में। मेरा न जिस्म था न कोई
मेरा नाम,एक गुमनाम शब्द या चहदीवारों से झाँकता एक जागता स्वप्न ढूँढ नहीं पा रहा। मेरा नाम खुद की एक
लगता है बहुत गुमान रखते हैं। अपनी मुट्ठी में हमारी जान रखते हैं। बड़े बेख़बर होकर घूमते
शाइरी लिखना कोई बच्चों का खेल नहीं; लेकिन इतना श्योर है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आज से
तूफ़ाँ आए ज़िंदगी में मुझे कोई ग़म नहीं, माँ की दुआ काफ़ी है ता-उम्र मेरे लिए। मैंने जब से जाना
प्यार के ख़ुमार की पुकार भी चली गई। चैन दिल के लूट के तू यार भी चली गई।
मत पूछ दूर मुझ से हो के किधर गया है। मत पूछ दूर मुझ से हो के किधर