छंद मुक्त कविता

सर्दी

गरीबी  लड़ती रही ठंडी  हवाओं  से,अमीरों ने कहा,क्या मौसम आया है। चिथड़ों में लिपटा, वो   कांपता  रहा,हर  सांस  में   जीवन