जब आप ध्यान करने के बारे में सोच रहे हैं तो इसका मतलब सीधी सी बात है कि आप अपनी चेतना के साथ जुड़ना चाहते हैं।आम तौर पे व्यक्ति मन के साथ जुड़ा होता है,और दुनिया के ज्यादातर लोग इसी अवस्था में अपनी पूरी ज़िंदगी गुजार देते हैं, इन लोगों का बस जीवन का एक ही गोल होता है अपने पड़ोसी से आगे बढ़ना।अच्छी शिक्षा,अच्छी नौकरी और खूब सारा पैसा कमाओं फिर एक सुंदर स्त्री/पुरुष से शादी करो खूब भोग विलास करो,बच्चे पैदा करो और फिर एक दिन बूढे हो जाओ फिर क्या बेड पे सड़ी हुई ज़िंदगी और फिर देखते-देखते मौत कब आ के सामने खड़ी हो जाती है पता ही नहीं चलता,अंत में एक बहुत बड़ी पछतावे के साथ मृत्यु हो जाती है। लेकिन जब आप ध्यान के बार में सोच रहे हैं तो जाहिर सी बात है आप कुछ अलग करना चाहते हैं,ऐसा नहीं कि जब आप ध्यान करेंगे तो ये सारे काम आप नहीं कर पाएंगे आप सब करेंगे लेकिन आपके करने में और एक साधारण व्यक्ति के करने में जमीन आसमान का अंतर होगा।आपने सुना होगा की ऋषियों ने भी शादी किया और बच्चे भी पैदा किए लेकिन उनमें और एक साधारण इंनसानों में बस यही फर्क है कि ऋषियों ने ये सब चेतना के साथ जुड़ के जाग के होश पुर्वक किया और इस भौतिक भव सागर से मुक्त भी हुए लेकिन एक साधारण इंसान इसे बेहोशी में करता है और बार-बार धरती पे जन्म ले के इसी चक्र को दोहराते रहता है।बात बिलकुल साफ है आप हजार बार परिक्षा दीजिए जबतक आप पास नहीं होते आपको अगली कक्षा में नहीं जाने दिया जाता,यह जीवन भी एक परिक्षा है और इसमें पास होना बहुत जरूरी है लेकिन इसमें पास होने के लिए आपको योग-ध्यान कर के चेतना के साथ जुड़ना बहुत जरूरी है। कोई फर्क नहीं पड़ता आप कितने बड़े आदमी हैं,आप कोई उच्च रेंक के ऑफिसर हैं,बिजनेस मैन हैं, कोई हीरो-हिरोईन हैं,नेता है फलाना ढिमका प्राकृति को इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता उसके लिए आप सिर्फ धरती के एक फसल हैं और समय आने पे एक दिन काट लिए जाएंगे।
ध्यान आपको चेतना के साथ जोड़ता है फिर आप इसे निरंतर अभ्यास में रखते हैं तो आप आत्मा के साथ एक होते हैं जो की परमात्मा का ही एक उप रूप है फिर आप इससे आगे बढ़ते हैं तो आप परमात्मा में लीन हो जाते हैं जिसे मोक्ष कहा जाता है।
अगर आप ध्यान करने की सोच रहे हैं तो कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें जान लेना बेहद जरूरी है,मैं उन्हे नीचे बताने जा रहा हूँ
1.ध्यान हमेशा खाली पेट करें:- हालांकि जब आप इसमें आगे बढ़ते जाते हैं तो एक समय ऐसे आता हैं कि आप खाते-पीते,जागते-सोते,उठते-बैठते,काम करते हुए भी ध्यान में ही रहने लगते हैं,लेकिन सुरुआती समय पे जब आप एक नए साधक होते हैं उस समय आपको सुबह सुर्योदय से एक घंटे पहले शौच से निवृत हो के खाली पेट हीं आपको ध्यान करना होगा क्योंकि एक आम इंसान की उर्जा मुलाधार चक्र में ही स्थित होती है उसके ऊपर ऊठने के लिए पेट का खाली होना बहुत जरूरी है,दूसरी बात खाली पेट ध्यान करने बैठने पे नींद नहीं आती।
नोट:- शरीर में सात चक्र होते हैं (मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपूरक, अनाहत, विशुद्धि, आज्ञा और सहस्रा) इन सभी चक्रों का हमारे अध्यात्मिक जीवन में बहुत बड़ा महत्व होता है। मोक्ष पाने के लिए कुछ साधक एक सफल गुरु के सानिध्य में हठ योग द्वारा इसे जाग्रित कर लेते हैं लेकिन आप ऐसा ना करे,खुद पे विश्वास रक्खे निरंतर ध्यान करते रहने से ये सभी चक्र समय के साथ-साथ अपने आप जागृत हो जाएंगे।
2.सात्वीक भोजन करना:- हमारी शारीरी अवस्था को बदलने में भोजन बहुत मायने रखता है आपने ‘जैसा आहार वैसा विहार’ वाली ये कहावत तो सुना ही होगा। हम जैसा भोजन करते हैं यह शरीर उसी के अनुसार आचरण करता हैं।ध्यान करने के लिए शांत मन का होना बेहद जरूरी है लेकिन अगर आप मांस खाते हैं गरम तासीर का भोजन लेते हैं अधिक दूध का सेवन करते हैं,अधिक कच्चे प्याज का सेवन करते हैं,शराब पीते हैं,स्मोकिंग करते हैं तो ये सब छोड़ना होगा,इन सब का सेवन हमारे शरीर को कामी और क्रोधी बनाता हैं,मन की चंचलता और उग्रता को बढ़ा देता है जिससे ध्यान करना लगभग असंभव हो जाता है,ध्यान के लिए आपको सात्विक भोजन करना होगा। एक दिन का जो आपका भोजन है उसमें कम से कम एक तिहाई भोजन में कच्चे पदार्थों का होना जरूरी है जैसे:-फल,गाज़र-मूली,अंकुरित नट्स इत्यादि।
3.विचारों की शुद्धी:- ये तो स्वभाविक है कि अगर आपका मन भटका रहेगा तो आप कभी शांत नहीं बैठ सकते,आजकल तो सोशल मीडिया का जमाना है,सबके पास मोबाईल है,लैबटाॅप है लोग बेकार के रील्स,अशलील,वीडियो ये सब देखकर दिमाग खराब कर लेते हैं,हमारी नए दौर की यूवा पीढ़ी तो इसमें बर्बाद हो गई,अगर आपको एक सच्चा साधक बनना है तो आपको इन सब से दूर रहना होगा,हाँ मैं आपको बता दूँ कि बाहरी जीवन में लोगों के सामने सफाई देना बहुत आसान हैं लेकिन अकेले में आप क्या कर रहें हैं ये आप जानते हैं,ध्यान रहे आप अकेले में कुछ गलत कर रहे हैं तो आप किसी को नहीं खुद को धोखा दे रहे हैं।
5.योग में सूर्य नमस्कार:-
वैसे तो बहुत से योग होते हैं लेकिन ठीक से अगर आप सिर्फ कुछ प्रणायाम के साथ सूर्य नमस्कार कर ले रहे हैं तो आपको ध्यान के लिए बहुत फायदा होगा(रोज कम-से-कम चार सूर्य नमस्कार जरूर करें)हमारे शरीर में तीन नाड़ियाँ मुख्य रूप से हैं वैसे तो 72000 हजार नाड़ियाँ हैं लेकिन ईड़ा,पिंगला और शुषुम्ना मुख्य हैं,जिसमें शुषुम्ना नाड़ी हमें चेतना से जोड़ती है यह नाड़ी सूर्य नमस्कार से अधिक सक्रिय हो जाती है।
नोट:- कोई भी योगासन करें सांसों पे ध्यान देके विचार मुक्त हो के करें।
6.सम्यक दृष्टी:- आप वहीं देखे जो देखना जरूरी हैं,गलत अशलीलता को देखने से मन में काम उत्पन्न होगा जो आपकी ऊर्जा को हमेशा मूलाधार चक्र तक ही अटाए रहेगा और आपका ध्यान कभी सफल नहीं होगा।
7.किताबें पढ़ना:-
रोज एक घंटा किताब अवश्य पढ़े, इससे एकाग्रता बढ़ती है जो ध्यान के लिए बहुत जरूरी है,किताबें पढ़ते समय सासों पे ध्यान रक्खें और विचार मुक्त होकर मन में पढ़े और हाँ कोई ऐसी किस्से कहानियाँ न पढ़े जो मन की व्याकुलता को बढ़ाए,जैसे अशलील किस्से,हाॅरर कहानियाँ,दुखदायक दर्द भरी कहानियां इत्यादि।आप अध्यात्मिक,वीर पुरुषों की कहानियाँ,धार्मिक या हंसी वाली कहानियाँ ही पढ़े जिससे मन सदैव प्रफ्फुलित रहे।
8.किसी एक आसन में सिद्धी प्राप्त करना:- योग में बैठने के 84 आसन होते हैं इनमें से किसी एक आसन पें अगर आप ढाई से तीन घंटे तक रीढ़ की हड्डी को सीधा कर के बैठ सकते हैं तो समझिए आप को उस आसन में सिद्धी हासिल हो गई,मैं तो पद्मासन का ही सलाह दूंगा मैं खुद उसी आसन में बैठ के ध्यान करता हूँ,और ऐसे सामान्य तौर पे बैठना हो तो सिद्धासन में बैठता हूँ।
अब आते हैं ध्यान पे
ध्यान कैसे करें?-
सुबह सूर्योदय से कम से कम एक घंटा पहले जगे और शौच से निवृत हो के सूर्य नमस्कार करें और कुछ योग प्राणायाम करना चाहें तो कर सकते हैं, इन सभी से निवृत होने के बाद देखें की आपका शरीर अधिक थका न हो अगर अधिक थका है तो शौआसन में विचार मुक्त हो के 10-15 मिनट तक लेट जाए फिर किसी एक आसन जिसमें आप अधिक देर तक बैठ सके रीढ़ को सीधा कर के बैठ जाएं फिर अपने गुरु को नमस्कार करे अगर गुरु नहीं तो भगवान् शिव या अपने आराध्य स्मरण करे, तीन बार लंबी सास ले और ऊं कहते हुए उसे छोड़े फिर मौन हो जाए मन में बोले हे जगत के समस्त जीवात्माओं! मैंने किसी प्रकार से आपको कोई कष्ट दिया हो तो उसके लिए मैं आप सभी से क्षमा मांगता हूँ कृप्या क्षमा कर और मुझे आशिर्वाद दें की मैं सफल हो सकूं और किसी प्रकार आप सभी ने मुझे कष्ट दिया है तो उसके लिए मैं आप सभी को क्षमा करता हूँ।अब साँसो पे ध्यान दे विचारों को रोकने की कोशिश न करे बस उनके साथ उलझना नहीं है,जब आप एकांत में चुप शांत बैठते हैं तो मन में अनेक अच्छे और बुरे विचार उत्पन्न होते हैं लोग इन्ही विचारों में से किसी एक को पकड़ के उन्हे सोचना सुरु कर देते हैं आप ऐसी गलती मत करे ऐसा नहीं की कोई अच्छा विचार आया तो उसे सोचना शुरु कर दिएं, अच्छा हो या बुरा आपको किसी विचार के साथ उलझना नहीं है विचारों को रोके भी नहीं उन्हें आने दें और जाने दें फिर आप देखेंगे कुछ समय बाद ये विचार कम होने लगेंगे,कचरा साफ होने लगेगा, फिर एक समय बीच-बीच में ऐसा आएगा की आप कुछ सेकण्ड के लिए गायब हो गए कहीं खो गए और फिर बाद में आपका सर हल्का महसूस होगा आप खुद में ताजगी महसूस करेंगे ये अवस्था कम से कम लगातार दो माह तक थोड़ा-थोड़ा देर बैठने से होगा, कोई जरूरी नहीं आप पहले दिन ही दो घंटा बैठे आप दस मिनट से शुरुआत करे फिर इसे 2,4 मिनट कर के धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं ऐसे निरंतर अभ्यास करने से चार-छ: महीने बाद आपको एक अलग प्रकार का आनंद महसूस होने लगेगा,आपकी सहन शक्ति बढ़ जाएगी आप कम बोलना पसंद करेंगे और अकेले रहने लगेंगे, जब ऐसा होने लगे तो समझना आपका ध्यान अब शुरु हो गया फिर इसे निरंतर जारी रखिए आगे जो अनुभव होगा उसे किसी से मत कहिए बस जारी रखिए।
एक बात और जब हम ध्यान करने बैठते हैं तो शुरुआती दौर में बहुत सी अड़चने आती हैं आप उसपे ध्यान न दे,जैसे बाहर शोर होना, गाना बजना, हल्ला होना जब ऐसी चीजे घटित हो तो आप उनसे मन को चिड़चिड़ा न बनाए बल्की उन्हीं के साथ एक हो कर अपना काम करते रहें, जैसे कोई गाना ही बज रहा हो और आप ध्यान में बैठे हैं तो उससे उबना नहीं है बस उसी गाने में रम जाइए और सांसों पे ध्यान देते रहिए फिर वो गीत ही आपके लिए उस दिन का ध्यान बन जाएगा, एक बात समझ लीजिए जीवन में ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिन्हें हम नहीं बदल सकते हाँ मगर खुद को जरूर बदल सकते हैं वही हमारे बस की बात है।ध्यान दे! जितना देर आप बैठते हैं हर हाल में आपकी रीढ सीधी होनी चाहिए इससे स्वसन क्रिया अच्छी होगी शुषुम्ना नाड़ी जाग्रित होगी और आप जल्द ही चेतना से जुड़ जाएंगे और आपका ध्यान सफल होगा।
इतना होने के बाद आप कमेंट बाॅक्स में अपना अनुभ बताइए फिर हम ध्यान की दुनिया में आगे बढ़ेंगे तबतक के लिए जय राम जी की और जय आप सभी के अपने अपने आराध्य और गुरुओं की। नमस्कार
~ संदीप कुमार तिवारी’श्रेयस’