किसी की भी वफ़ा मुझको नहीं लगती।

 

सुनो यारो कि क्या  मुझको नहीं लगती।
किसी की भी वफ़ा मुझको नहीं लगती।

मुझे   बीमार  तू  कर  तो  गया  लेकिन,
पता भी  है  दवा  मुझको  नहीं  लगती।

गुजर  जाती   है  क़तरा  के   बिना  तेरे,
मैं क्या  बोलू  हवा मुझको नहीं लगती।

किसी  ने  उम्र  बढ़ने  की  दुआ  दी  है,
सितम ये है  दुआ  मुझको नहीं लगती।

हया  मैं   इश्क़  में करता  तो  हूँ  ‘श्रेयस’,
हया  है  पर हया  मुझको  नहीं  लगती।

©️संदीप कुमार तिवारी’श्रेयस’

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