मुमकिन नहीं है आदमी ऐ यार ग़म को बांट दे।

 

जो कुछ मिला है प्यार में  कहता  है हम को बांट दे।

मुमकिन  नहीं  है आदमी  ऐ  यार  ग़म  को  बांट दे।

 

तुमने तो हम को दे दिया चाहत  भरे  दिल में सितम,

लाज़िम नहीं है  हम भी लोगों में  सितम  को बांट दे।

 

क्यूँ  रो रहा है  यार  तू  गुलशन  तुझे  मिल  ही  गया,

हर फूल अपने पास रख काँटो को  हम  को बांट दे।

 

ना  हो   जमाना   देख  ले  रुख़्सार  पे  पर्दा  तो  कर,

है कौन वो दुनिया में जो  अपने  सनम  को  बांट  दे।

 

दिल लूट के  बेघर मुझे  तू  कर  गया  पर  बात  सुन,

जो साथ चलने की कसम थी उस कसम को बांट दे।

 

     ©️संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *