शाइरी लिखना कोई बच्चों का खेल नहीं; लेकिन इतना श्योर है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आज से ही आप शाइरी लिखना शुरू कर देंगे.ये मेरा वादा है।कृप्या इसे पूरा पढ़े,अधूरा ज्ञान किसी काम का नहीं होता।
यदि आप शाइरी करना चाहते है,और आपको समझ नहीं आ रहा इसे कहाँ से शुरु करे तो आप सही जगह आएँ हैं।शाइरी करने के लिए सबसे पहले तो आपको यह जान लेना जरूरी है कि शाइरी है क्या, तो आइए समय को ध्यान में रखते हुए हम आगे बढ़े।
शाइरी क्या है?:- शाइरी एक उर्दू काव्य लेखन है,शाइरी दो से चार वाक्यों का एक ऐसा समूह जिसे किसी निश्चित मात्रा में लिखी गई हो और जिसका कम शब्दों में अधिक अर्थ निकले वो ईशारा है। जी हाँ शाइरी एक ईशारा है यह कोई व्याख्या नहीं। कम से कम शब्दों में किसी शाइर द्वारा कही गई एक ऐसी बात जिसका कोई विशेष अर्थ निकले। साधारण तौर पे समझे तो हर कोई अपनी भावनाओं को शब्दो द्वारा ही व्यक्त करता है,या तो लीखकर,या बचलकर लेकिन कुछ लोग ऐसे होते है जिनकी बाते हमें विशेष लगने लगती हैं उनके कहने का अंदाज़ ही निराला होता है,जो दिल को प्रभावित करता है।जैसे एक शे’र देखे
बात जब आज भरोसे की है तो रहने दो,
बस्तियाँ जलती रहे लोग धुआँ देखेंगे।
मौत जब मेरी कदम चूम रही होगी,
देखने वाले भी मेरी खुशियाँ देखेंगे।
©️संदीप कुमार तिवारी
उपर्यूक्त अशआर (शे’र) द्वारा शाइर ने व्यंगात्मक तरीके से अपने भाव को व्यक्त किया है जो दिल को छू जाता है।अब यही बाद हम साधारण तरीके से भी कह सकते हैं कि ‘जब किसी को भरोसा नही होता तो जो हो रहा है उसे होने दो वो खुद अपनी आँखो से देखेंगे तो मानेंगे………!
अब आपको फर्क समझ आ गया होगा एक साधारण वाक्य में और एक शे’र में। अब आते हैं शाइरी के(बाबत)व्याकरण पे,तो दोस्तो हर रचना की अपनी एक निश्चित शैली होती है। शाइरी करने की भी कुछ नियम हैं। अगर आप इन नियमों को नहीं जानते हैं तो यह बस एक तुकबंदी तक ही सीमित रह जाएगा आप शाइरी नहीं कर सकते। जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा,शाइरी एक निश्चित मात्रा में लिखी जाती है,इसके अपने कुछ नियम होते हैं।इसमें एक समान रदीफ़ तथा भिन्न-भिन्न क़वाफ़ी होते हैं जो एक ही वज़्न यानी मात्रा क्रम में लिखी जाती है।उदाहरण में पेस हैं कुछ अश्’आरा(शे’र का समूह)|
212 1212 1212 1212
प्यार के ख़ुमार की पुकार भी चली गई।
चैन दिल का लूट के तू यार भी चली गई।
तू चली गई कहीं बदल गई है ये फ़ज़ा,
यार अब बसंत से बहार भी चली गई।
हम अभी तो ठीक से न रो सके भी टूट कर,
ये नदी बही नहीं कि धार भी चली गई।
(संदीप कुमार तिवारी)
शाइरी करने के लिए एक और बात जरूरी है,कुछ लोगों को कुदरत ने ही यह तौफ़ा अदा किया है कि वो कुछ बोलते हैं तो उनका बोलने का अंदाज़ औरो से हट के होता है। इसके लिए भावनाओं का कोमल होना बहुत जरूरी होता है। अब बात आती है कि शाइरी में हम मात्रा को कैसे चेक करें? मैं आपको बता दू जैसे हिंदी कविता,और छंद की एक मात्रा शैली होती हैं वैसे ही शायरी में भी होती है। लेकिन हिंदी कविताओं की मात्रा लिखने के हिसाब से गीनी जाती हैं और शायरी में बोलने के हिसाब से मात्राएँ गीनी जाती हैं। जैसे कुछ शब्द मैं यहाँ उदाहरण के लिए ले रहा हूँ और उनके नीचे उनकी मात्राएँ शायरी लेखन और हिंदी लेखन के अनुसार अलग-अलग होंगी।
शब्द – हिंदी लेखन के अनुसार मात्रा
कमल – 111(क+म+ल)
चाल- 21(चा+ल)
राहगीर-2121(रा+ह+गी+र)
मुश्किल-121(मु+श्कि+ल)
कहानी-121(क+हा+नी)
चलना -112(च+ल+ना)
शब्द : ऊर्दू शायरी लेखन के अनुसार मात्रा
कमल- 12(क+मल)
चाल- 21 (चा+ल)
राहगीर- 2121(रा+ह+गी+र)
मुश्किल-22(मुश्+किल)
कहानी-122(क+हा+नी)
चलना-22(चल+ना)
उम्मीद है आपको बात समझ आ गई होगी। अब आइए एक उदाहरण के साथ मात्रा की पहचान कर ले।उपर्यूक्त अश्’आर को ही लेते हैं।
अश्आर मात्रा:-1212 /1122 /1212/22
हैं घाव ऐसे भी जिनका दवा नहीं मिलता,
यकीं न हो तो कभी दिल पे चोट खाना तुम।
©️संदीप
ऊपर्युक्त शे’र को मात्रा के साथ बैठाइए और मिलान कीजिए। आगे आपको ग़ज़ल लिखना भी सिखाया जाएगा।कुछ बातें जो यहाँ नहीं बताई गईं हैं,जब आपको ग़ज़ल लिखना सिखाया जाएगा तो सब किलियर हो जाएगा।हमारे साथ बने रहें जल्द ही दूसरा पोस्ट लेके आते है,धन्यवाद।