‘फॉर्मेलिटी’

‘फॉर्मेलिटी’ /

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“मैं कब से आपका इंतजार कर रही हूंँ!.खाना भी ठंडा हो रहा है,.कहां रह गए थे आप?”

बंटी को उसके स्कूल से लेकर अभी-अभी घर लौटे रंजीत पर नजर पड़ते ही रश्मि नाराज हो उठी.

“मुश्किल से दस मिनट का रास्ता है बंटी के स्कूल से हमारे घर तक का!. उसमें भी आपको घंटा भर लग गया,. जरूर कोई जान पहचान वाला मिल गया होगा और आप बातें करने लगे होंगे!.यह भी भूल गए होंगे कि आज घर में मेहमान आने वाले हैं।”

यह कहते हुए रश्मि ने रंजीत के हाथ से बंटी के स्कूल का बस्ता और थरमस ले लिया। रंजीत मुस्कुराया..

“वैसे आज हमारे घर कौन से मेहमान आ रहे हैं!.यह तो तुमने बताया ही नहीं!”

“मैंने बताया तो था!.मेरी छोटी ममेरी बहन रजनी के पति का ट्रांसफर इसी शहर में हो गया है और आज वह लोग हमसे मिलने हमारे घर आ रहे हैं!”

“कब तक आ रहे हैं वह लोग?”

“बस आ ही रहे होंगे!.आज हमारे साथ हमारे घर पर ही लंच करने का प्लान है उनका!” 

कई वर्षों बाद अपनी ममेरी बहन से मिलने की खुशी में रश्मि चहक रही थी। 

“तुम उन्हें फोन लगा लो!.तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूंँ!” रंजीत झटपट गुसलखाने में चला गया। लेकिन नन्हा बंटी अपनी मांँ को बताने लगा..

“मम्मी रास्ते में एक्सीडेंट हो गया था!.इसलिए पापा को घर आने में देर हो गई !”

“एक्सीडेंट!.तुम्हें चोट तो नहीं आई ना बेटा।”

रश्मि अचानक घबरा उठी।

“मम्मी आप घबराइए मत!.हमारा एक्सीडेंट नहीं हुआ था!”

“फिर किसका एक्सीडेंट हुआ था?”

“वह तो पापा को पता होगा!.बहुत खून निकल रहा था एक अंकल के माथे से और एक आंटी बेहोश हो गई थी!”

पहली कक्षा में पढ़ने वाले बंटी की बातें गौर से सुन रही रश्मि की समझ में कुछ नहीं आ रहा था कि,. आखिर एक्सीडेंट हुआ किसका था!

तभी हाथ मुंह धो कर फ्रेश होकर रंजीत भी वहां आ पहुंचा। 

मांँ-बेटे के बीच हो रही बातों को कुछ हद तक सुन चुके रंजीत ने पूरी बात रश्मि को बताना जरूरी समझा..

“वो स्कूल के सामने नुक्कड़ के आगे एक कार वाला अचानक एक बाइक सवार को ठोकर चलते बना!”

“फिर?”

रश्मि की जिज्ञासा चरम पर पहुंची। रंजीत आगे बताने लगा..

“बाइक सवार लहूलुहान हो गया था!.बाइक पर पीछे बैठी उसकी पत्नी को तो कुछ होश ही नहीं था,.पुलिस केस के डर से कोई हाथ लगाने को तैयार नहीं था!”

“फिर क्या हुआ?”

“मैंने कुछ लोगों की मदद से एक ऑटो रुकवाकर उन दोनों को हॉस्पिटल तक पहुंचाया!.इसी चक्कर में थोड़ी देर हो गई!”

रश्मि की जिज्ञासा पर पूर्णविराम लगा रंजीत भोजन करने के लिए कुर्सी खींच डाइनिंग टेबल के सामने बैठ गया..

“तुम जल्दी से मेरी थाली लगा दो!.मुझे थोड़ी देर के लिए कोतवाली भी जाना होगा!”

“कोतवाली!.लेकिन क्यों?

अचानक पुलिस का नाम सुनकर रश्मि तनिक घबरा गई।

“घायलों के साथ मुझे भी अपना एक छोटा सा बयान दर्ज करवाने को कहा गया है!”

“आपको क्या जरूरत थी बेवजह पुलिस के चक्कर में पड़ने की!” 

रश्मि के तेवर अचानक बदल गए। लेकिन रंजीत ने रश्मि को समझाया..

“रश्मि यह तो एक छोटी सी फॉर्मेलिटी है!.पूरी तो करनी ही पड़ेगी ना!”

“जब आप जानते थे कि,.आज हमारे घर मेहमान आ रहे हैं फिर आपको इन फालतू के पचड़ों में पड़ने की क्या जरूरत थी!.वैसे भी वह लोग कौन सा आपकी जान पहचान वाले थे जो मदद करना जरूरी था,.पुलिस का मामला था तो पुलिस ही उनकी मदद करती!.आइंदा से आपको ऐसे सड़क पर किसी की कोई मदद करने की कोई जरूरत नहीं है।”

“रश्मि तुम नाराज मत हो!.मुझे कोतवाली जाने की कोई जल्दी नहीं है,.लेकिन तुम एक बार फोन लगाकर अपने मेहमानों से यह तो पूछ लो कि हमारे साथ लंच करने के लिए वह लोग कब तक पहुंच रहे हैं!”

“फोन तो मैंने लगाया था!.लेकिन उन्होंने रिसीव नहीं किया शायद रास्ते में होंगे!”

“एक बार फिर से फोन लगा लो!”

रंजीत की बात मानकर रश्मि ने अपने मोबाइल से अपनी ममेरी बहन रजनी का नंबर डायल कर दिया..

थोड़ी देर मोबाइल की घंटी बजी। एक दो बार बजने के बाद कॉल रिसीव हो गया।

लेकिन कॉल रिसीव होते ही दूसरी ओर से मिला संदेश पाकर रश्मि अचानक जड़ हो गई..

“हे भगवान!”

“क्या हुआ रश्मि!”

“उनका एक्सीडेंट हो गया है!”

“कहां?”

“पता नहीं!.लेकिन अभी वह दोनों सिटी हॉस्पिटल में भर्ती है!”

यह सुनते ही रंजीत भोजन की मेज छोड़ उठ खड़ा हुआ। रश्मि तो मारे घबराहट के रो पड़ी..

“हमें जल्द से जल्द वहां पहुंचना चाहिए!. फिलहाल इस शहर में मेरे अलावा उनका अपना कोई है भी नहीं!”

यह कहते हुए रश्मि बंटी को गोद में उठा अस्पताल जाने के लिए झटपट तैयार हो गई।

रंजीत भी बिना वक्त गंवाए रश्मि को लेकर सिटी अस्पताल पहुंचा। 

प्राथमिक उपचार के बाद जनरल वार्ड के बिस्तर पर पड़े घायल पर नजर पड़ते ही वह अचानक चौंक गया..

“यह तो वही दोनों पति पत्नी हैं!.जिन्हें मैं अभी-अभी सड़क से उठाकर अस्पताल तक लाया था।”

सड़क से अस्पताल तक पहुंचाने वाला वह अजनबी फरिश्ता उनका अपना रिश्तेदार है! यह जानकर रश्मि कि ममेरी बहन रजनी और उसका पति भगवान को शुक्रिया अदा कर रहे थे।

लेकिन अभी थोड़ी देर पहले अपने पति को आइंदा से सड़क पर घायल पड़े किसी अजनबी की मदद ना करने की सलाह देने वाली रश्मि सच्चाई जानकर नि:शब्द थी।

                                                                                          -पुष्पा कुमारी “पुष्प”
 

 

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