गरीबी लड़ती रही ठंडी हवाओं से,
अमीरों ने कहा,क्या मौसम आया है।
चिथड़ों में लिपटा, वो कांपता रहा,
हर सांस में जीवन बचाता रहा।
चूल्हा बुझा था, पर आस जल रही,
सपनों की रोटी, राख में गल रही।
उधर महलों में जश्न मनाया गया,
हर कोने में हीटर लगाया गया।
शाम की चाय, गरम पकवान,
सर्दी में भी, गुलाबी थे अरमान।
फिर एक गरीब ने पूछा आसमान से,
“क्या तू सिर्फ अमीरों का भगवान है?”
मगर उत्तर न आया, सन्नाटा छा गया,
गरीब ठिठुरता रहा, मौसम हंसता रहा।
यही है कहानी इस दुनिया की,
जहां सर्द हवाएं भी अमीरों की।
~डॉक्टर नरेश सिहाग एडवोकेट