एक अच्छे पेरेंट्स कैसे बने( How to be a good parent?)
आधुनिक समाज यह सब नहीं मानता लेकिन आप ये जान ले माता-पिता के लक्षण बच्चों में भी जरूर आते हैं।
*एक अच्छा पेरेंट्स बनने के कुछ बेस्ट टिप्स।*
- 1. एक अच्छा बीज तैयार करे।
- 2.बच्चों के सामने खुद को हमेशा अच्छे से पर्जेंट करे।
- 3.बच्चों के सामने कोई गलत काम न करे।
- 4.अपने बच्चों को हाॅस्टल में डालने से पहले यह समझ ले-
- 5.अधिक दुलार बच्चों के लिए ख़तरा
- 6.अपने बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाए।
- 7.आच्छी शिक्षा दे-
- 8.बच्चों के बढ़ती उम्र के साथ खुद में भी बदलाव करे।
इसे हम शुरु से समझते हैं ।
1. एक अच्छा बीज तैयार करे। पहले आप एक अच्छा बीज तैयार करे,अच्छी फ़सल के लिए अच्छे बीज का होना बेहद जरूरी है। इस लिए अगर आप अभी शादीशुदा नहीं हैं तो सबसे पहले अपने शारीरीक और मांसिक हेल्थ को बेहतर बनाए। क्यूँकि आपसे जो संतान उत्पन होगा वो आपका ही प्रतिबिंब होगा, तो जैसी वस्तू होती है प्रतिबिंब भी वैसा ही बनता है।तो अगर आप शादी करनेवाले हैं तो चुनाव अच्छा करे,पति-पत्नी दोनों का नैतिक और औपचारिक रूप से जीवन शैली अच्छा होना बेहद जरूरी है एक अच्छे संतान को जन्म देने के लिए।इस बात को शास्त्र तो कहता ही है मगर विज्ञान के शोध भी यही बताते हैं कि माता-पिता के गूणसूत्र( DNA) बच्चों में होते हैं। यानी कि आप अपने जीवन में जो आचरण(Behaviour)अपनाते हैं ज्यादातर संभावना है आपके बच्चें भी वही करें।अब बात करते हैं उन लोगों का जिन्होंने यह अवसर गवा दिया है। बच्चे ठीक कुम्हार की उस गूंथी हुई गीली मिट्टी की तरह होते हैं जिसे कुम्हार जैसा चाहे वैसा रूप दे सकता है।जी हाँ आपके हाथ में है कि आपके बच्चे कैसे होंगे।
2.बच्चों के सामने खुद को हमेशा अच्छे से पर्जेंट करे- बचपन एक जिता-जागता टेपरिकार्डर की तरह होता है, बच्चे किसी भी परिस्थिती को काॅपि करने में बड़े तेज होते, ऐसे में उनके सामने आप वही पेश करे जो उनके लिए जरूरी हो और उन पे अच्छा प्रभाव छोड़े। आप दोनों का आपसी संबंध चाहे जैसा भी हो उन्हें बच्चों के बीच लेकर न आए।
3.बच्चों के सामने कोई गलत काम न करे- जैसा कि आपने ऊपर ही पढ़ा बच्चे टेपरिकार्डर की तरह होते हैं तो आप इतना तो समझ ही गए होंगे कि उनके सामने ऐसा कोई गलत काम न करे जिससे वो बुरे तरीके से प्रभावित हो।
जैसे:- आप उनके सामने किसी प्रकार का नशा नहीं कर सकते,गाली-ग्लौज़ नहीं कर सकते,आपस में झगड़ा नहीं कर सकते,किसी पे चिल्ला नहीं सकते। अगर आप पे किसी प्रकार का प्रेशर है तो उसे बच्चों को पता मत चलने दें, चाहे वो आर्थिक तंगी हो, आपसी विवाद हो। ये सब अगर बच्चें जान लेंगे तो उन्हें मांसिक तनाव होगा जो बच्चों के मानसिक विकास के लिए ठीक नहीं।
4.बच्चों को हाॅस्टल में डालने से पहले यह समझ ले- अगर आपने प्लानींग किया है कि उन्हे हाॅस्टल में रखवा दे तो थोड़ा इस बात को भी समझ ले,उन्हे हाॅस्टल में डालने से आपका तो झंझट खत्म होगा लेकिन उनके लाईफ में कुछ बदलाव हो जाएगा। क्यूँकि वहां ये मनमानी तरीके से जियेंगे चाहे कितना भी गार्डींग क्यूँ ना हो,दूसरी बात-हाॅस्टल में रहनेवाले बच्चों का ज्यादातर अपने माता-पिता से भावनात्मक लगाव(emotional attachment) ख़त्म हो जाता है। तीसरी और सबसे जरूरी बात कि हाॅस्टल में बच्चों के साथ यौन उत्पीड़न भी होने कि संभावना अधिक होती है,चाहे वो लड़का हो या लड़की और ये बातें तो ज्यादातर बच्चे किसी को बता ही नहीं पाते,पता तब लगता है जब उनके साथ कोई एक्सिडेंट हो जाता है, इस मामले में ऐसे बच्चे अपने पैरेंट्स से नफ़रत करने लगते हैं। मैं यह नही कहता कि सारे हाॅस्टल खराब होते हैं मगर अब ऐसे केस कुछ हाॅस्टल्स में अधिक देखने को मिल रहे हैं।
5.अधिक दुलार बच्चों के लिए ख़तरा- ज्यादातर घरों में ऐसा देखा जाता है कि माता-पिता अपने बच्चों को बहुत प्यार करते हैं;लेकिन यह प्यार ख़तरनाक वाला होता है,जैसे बच्चे को अधिक चाॅकलेट खिलाना,अधिक जंक फूड खिलाना,अधिक मोबाईल का प्रयोग कराना कितने बच्चों को तो मैंने देखा वो बिना फोन देखे खाना ही नहीं खा पाते या फिर टीवी के पास बैठकर हीं खाएंगे। आपको पता है? आपको लगता होगा आप अपने बच्चे को बहुत प्यार करते हैं लेकिन आपको नहीं पता आप उसके बहुत बड़े दुश्मन हैं,वो बच्चा अपनी आधी उम्र भी नहीं पार करेगा कि तबतक वो पेट रोग से ग्रसित हो जाएगा,आँखों में जल्दी चश्में लग जाएंगे।
6.अपने बच्चे को भावनात्मक रूप से मजबूत बनाए- बच्चों को पेसेंस रखना सिखाए,अगर वो कुछ मांग रहा है तो उसे तुरंत लाकर ना दे डीले करे आज जो देना है वो दो दिन या चार दिन बाद दे,यह आदत उसे पेसेंस रखना सिखाएगी जो आगे चलकर उसे अपने जीवन में बहुत काम आनेवाला है। वो हर परिस्थिति सें लड़ने के लिए तैयार रहेगा। कोई जरूरी नहीं कि ज़िंदगी मैं हम जब जो चाहे वो कर ले,जिस चीज़ को चाहे पा ले। कभी-कभी ज़िंदगी इम्तिहान भी लेती है ऐसे हालात में हमे अगर धैर्य रखना नहीं आया तो हम टूट जाएंगे।
7.आच्छी शिक्षा दे- अपने बच्चे को ऐसी शिक्षा दें कि उसके आर्थिक जीवन में उपयोगी हो और उसका पोषण कर सके। और यह बात आप समय को ध्यान में रखकर करे। क्या पता आज जो शिक्षा आप अपने बच्चे को दे रहे हो उसकी भेड़ियाधसान हो और आगे चलकर किसी काम का ना हो,याद रखे इस संसार में बेरोजगारी आपके बच्चे से कुछ भी करा सकती है,किसी भी राह पे चलने को मजबूर कर सकती है। कृप्या उसे ऐसी शिक्षा दे जो उसके दैनिक जीवन में उपयोगी हो और उससे वो अपने परिवार का भरण-पोषण कर ले।
8.बच्चों की बढ़ती उम्र के साथ खुद में भी बदलाव करे।- जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते जाते हैं उनके साथ सहानुभूतियों के साथ आगे कदम बढ़ाये,कोई जरूरी नहीं Life में सब अच्छा ही हो कभी-कभी ऐसा भी होता हैं कि आप जो फ़ैसला ले रहे हैं वो गलत हो बजाय आपके बच्चों द्वारा लिए गए फ़ैसले के। बच्चों के बढ़ती उम्र के साथ खुद में भी बदलाव करे। कुछ बातें भगवान् पे छोड़ दे,ये सब होने के बाद भी आपको लगता है कि आप एक अच्छे पैरेंट्स नहीं बन पाएं तो भी अधीर होने की जरूरत नहीं, आप कोई भगवान् नहीं हैं,आप बस एक माध्यम हैं जिसके जरिए कोई जीव इस धरती पे आया है,एक बात सदा याद रक्खें कि हर जीव का अपना कुछ कर्मफल भी साथ होता है; इसलिए जिसके नसीब में जो है वो हो के हि रहेगा।
धन्यवाद
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