ग़ज़ल में शब्दों के किस स्थान के दीर्घ मात्रा को गिराया जा सकता है और किस स्थान का नहीं?

                     

ग़ज़ल में शब्दों के किस स्थान के दीर्घ मात्रा को गिराया जा सकता है और किस स्थान का नहीं?

मात्रा गिराने के नियम थोड़ा-बहुत सब जानते हैं लेकिन इसे विस्तार से समझना बहुत जरूरी है। आपको यह पता होना चाहिए किस शब्द में कब कहाँ मात्राएँ गिराई जा सकती हैं और कब कहाँ नहीं।
दोस्तों जैसा कि आप सभी को पता है हम पिछले एपिसोड से ही ग़ज़ल में मात्रा गिराने के नियम को समझ रहे हैं जिन्होने पहले का एपिसोड नहीं पढ़ा वो ग़ज़ल लिखना सीखे भाग-7 जरूर पढें और जो हमारे इस भाग में बिलकुल नये हैं वो शुरु से ग़ज़ल लिखना सीखे के सभी भागों को पढ़ ले। पिछले एपिसोड ग़ज़ल लिखना सीखे भाग -7 में हमने सबका लिंक दिया हुआ है।
तो चलिए अब हम इस प्रश्न का उत्तर खोजते हैं कि शब्द में किस स्थान का दीर्घ मात्रिक अक्षर गिर सकता है और किस स्थान का नहीं गिर सकता।

हालांकि यह समझना बहुत ही आसान है, कुछ शब्द तो ऐसे हैं जिन्हे आप देखते ही बता समझ सकते हैं कि इस शब्द में किस अक्षर कि मात्राए गिराई जा सकती हैं और किस अक्षर का नहीं जैसे कुछ शब्द निम्नलीखित हैं। ध्यान रहे नीचे जिन शब्दों की मात्रा गिरा कर लिखी गई है वो सिर्फ उच्चारण के अनुसार बदलेगा लिखने में इसमें कोई बदला नहीं होगा, यहाँ सिर्फ आपके समझने के लिए लिखा गया है।

मूल शब्द-मूल मात्रा | मात्रा गिरने के बाद का शब्द-गिरी हुई मात्रा

सबको-22                           सबकु-21
उनको-22                           उनकु-21
लाया-22                             लाय-21
दिखाया-122                      दिखाय-121
आईना-221                       आइना-212

अब आप यह सोच रहे होंगे कि शब्द की पहली अक्षर की मात्रा क्यूँ नहीं गिराई जा सकती? जैसे लाया को लया-12 क्यूँ नहीं लिख सकते? तो दोस्तों नियम के अनुसार मूल शब्दों के अंतिम अक्षर की ही मात्राएँ गिराई जाती हैं,पहले अक्षर की मात्रा नहीं गिराई जा सकती । कुछ अपवाद शब्द हैं जिनके बीच की मात्रा गिराई जाती हैं जैसे यहाँ आईना-222 का मात्रा गिराके 212 किया गया है यह बस शब्द का बदला हुआ रूप है और कुछ नहीं। ऐसे शब्दों की मात्रा गिराने के बाद उनकी लेखनी भी बदल जाती हैं जैसे आईना-222 शब्द के मात्रा गिरने के बाद आइना- 212 लिखा गया है।

यहाँ यह बात ध्यान में रखना है कि शब्द के मूल रूप में कोई शब्द या अक्षर जोड़ा गया है तो मूल शब्द के अंतिम अक्षर को गिराने की संभावना रहती है

जैसे – खिलेगा में खिल शब्द मूल है और इसमें (एगा) जोड़ा गया है। खिलेगा की मात्रा -122 होती है और इसे गिरा कर 121तो कर ही सकते हैं, साथ ही ले को गिराकर हम 112 भी कर सकते हैं।

नोट:- कुछ अपवाद शब्द भी हैं ऊपर्युक्त नियमानुसार जिनके पहले अक्षर की मात्राएँ गिराई जा सकती हैं जैसे👇

मूल शब्द-मात्रा | मात्रा गिरने के बाद

तेरा-22                  (तिरा-12/तेरा-21)
मेरा-22                  (मिरा-12/मेरा-21)
कोई-22                 (कोई-12/कोई-21)

कुछ अपवाद शब्द और हैं।

जैसे:- आगोश,खामोश इन शब्दों के पहले और दूसरे दीर्घ अक्षर को भी गिरा सकते हैं लेकिन ध्यान रहे कि यह सिर्फ अपवाद ही हैं ऐसे कुछ और शब्द हैं लेकिन इसका ये मतलब कदापि मत लीजिएगा की आप सभी शब्दों के साथ ऐसे ही खिंचातानी कर सकते हैं।
आइए अब समझते हैं कि ग़ज़ल में किन शब्दों की मात्रा कभी नहीं गिराई जा सकती है।

ग़ज़ल में किस शब्द की मात्रा कभी नहीं गिराई जा सकती?

उत्तर:- हम आपको बता दे कि ग़ज़ल में शाईर के उपनाम,किसी व्यक्ति या स्थान (संज्ञा)के नाम की मात्रा कदापि नहीं गिराई जा सकती है।

नोट:- हिंदी के तत्सम शब्दों की मात्रा कदापि नहीं गिराई जा सकती है,तत्सम यानी संस्कृत से लिया गया ऐसा शब्द जो बिना किसी बदलाव के हिंदी में लिखा जाता हैं। जैसे:- नासिका,आसरा,विडंबना इन शब्दों के आखिर में का,रा,ना आ रहा है,आपको लगता होगा इसकी मात्राएं गिराई जा सकती हैं लेकिन ऐसा कदापि नहीं किया जा सकता।
एक बात और ख़्याल में ले लें यह नियम हिंदी के लिए ही है उर्दू में कोई तत्सम शब्द नहीं होता।

आज इतना ही, फिर मिलते हैं अगले एपिसोड में तबतक के लिए जय हिंद🇮🇳🙏

 

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