आज हम ग़ज़ल में मात्रा गिराना सीखेंगे। अगर आप एक अच्छे ग़ज़लकार बनना चाहते हैं तो आपको इतना तो जरूर आना चाहिए की ग़ज़ल में मात्राएं कैसे गिराई जाती हैं;लेकिन सबसे पहले हम आपको बता दें उन नए पाठकों को जो ग़ज़ल लिखना चाहते हैं और हमारे इस एपिसोड को पहली बार पढ़ रहे हैं,अगर आप हमारे पोस्ट को पहली बार पढ़ रहे हैं तो आपसे सबसे पहले यह अनुरोध है कि आप पहले बाकी के एपिसोड ग़ज़ल लिखना सीखे भाग-1,भाग-2, भाग-3,भाग-4,भाग-5,और भाग-6 जरूर पढ़ ले ताकि आपको इस भाग को समझने में सुविधा हो। अब आगे बढ़ते हैं।
ग़ज़ल में मात्रा कैसे गिराई जाती हैं?
जब बात होती है ग़ज़ल में मात्रा गिराने की तो इसका सीधा मतलब यह है कि जब हम ग़ज़र बा-बहर(मात्रा के साथ)लिखते हैं तो कहीं-कहीं हमें पढ़ने के अनुसार शब्दों से छेड़-छाड़ करना पड़ता है।
जैसे कोई शब्द दो मात्री हैं तो उसे एक मात्री मानकर लिखा जाता है।
ग़ज़ल में मात्रा गिराना किसे कहते हैं?
जब किसी बहर के अर्कान में जिस स्थान पर लघु मात्रिक अक्षर होना चाहिए उस स्थान पर दीर्घ मात्रिक अक्षर आ जाता है तो नियमतः कुछ विशेष अक्षरों को हम दीर्घ मात्रिक होते हुए भी दीर्घ स्वर में न पढ़कर लघु स्वर की तरह कम जोर दे कर पढ़ते हैं और दीर्घ मात्रिक होते हुए भी लघु मात्रिक मान लेते हैं, इसे मात्रा का गिराना कहते हैं।
नियमतः ‘मात्रा गिराने का नियम’ कहना गलत है क्योंकि मात्रा को गिराना अरूज़ में ‘नियम’ के अंतर्गत नहीं, बल्कि छूट के अंतर्गत आता है। अरूज़ पर उर्दू लिपि में लिखी किताबों में यह ‘नियम’ के अंतर्गत नहीं, बल्कि छूट के अंतर्गत ही बताया जाता रहा है, परन्तु अब यह छूट इतनी अधिक ली जाती है कि नियम का स्वरूप धारण करती जा रही है। इसलिए अब इसे मात्रा गिराने का नियम कहना भी ग़लत न होगा। मात्रा गिराने के नियमानुसार, उच्चारण अनुसार तो हम एक मिसरे में अधिकाधिक मात्रा गिरा सकते हैं, परन्तु उस्ताद शाइर हमेशा यह सलाह देते हैं कि ग़ज़ल में मात्रा कम-से-कम गिरानी चाहिए।
अब आइए देखते हैं ग़ज़ल में मात्रा कैसे गिराई जाती है।
ग़ज़ल में मात्रा का गिराना
कुछ शब्द दिये जा रहे हैं जो दो मात्रिक हैं लेकिन हम इन्हें ग़ज़ल लिखते समय अपने सुविधा अनुसार एक मात्रिक भी कर सकते हैं जैसे-
मात्रिक शब्द मात्रा गिरने के बाद
मेरा-22, मिरा=12
तुझको-22 तुझकु=21
है-2 है-1
कोई-22 कोई-21/12
और भी कई उदाहरण हैं।
जैसे 2122 (फ़ाइलातून में, पहले एक दीर्घ है फिर एक लघु फिर दो दीर्घ होता है। इसके अनुसार शब्द देखें – ‘कौन आया’ को 2 न1 आ2 या2 और यदि हम लिखते हैं ‘कोई आया’ तो इसकी मात्रा होती है 22
22(फैलुन फैलुन) को 2 ई2 2 या 2 परन्तु यदि हम चाहें तो ‘कोई आया’ को 2122 (फ़ाइलातुन) अनुसार भी गिनने की छूट है। देखें – को2 ई1 आ2 या2 2 यहाँ ई की मात्रा 2 को गिरा कर इ1 कर दिया गया है और पढ़ते समय श्री ‘ई’ को दीर्घ स्वर अनुसार न पढ़कर ऐसे पढ़ेंगे कि लघु स्वर का बोध
हो। इसे नोट अर्थात् ‘कोई आया (2222) को यदि 2122 मात्रिक मानना है तो ‘कोइ आया’ अनुसार उच्चारण अनुसार पढ़ेंगे। – ग़ज़ल को लिपिबद्ध करते समय हमेशा शुद्ध रूप में लिखते हैं। ‘कोई आया’ को 2122 मात्रिक मानने पर भी केवल उच्चारण को बदलेंगे अर्थात् पढ़ते समय ‘कोइ आया’ पढ़ेंगे, परन्तु मात्रा गिराने के बाद भी ‘कोई आया’ ही लिखेंगे।
इसलिए ऐसा कहते हैं कि, ‘ग़ज़ल कही जाती है।’ ‘कहने’ से तात्पर्य यह है कि उच्चारण के अनुसार ही हम यह जान सकते हैं कि ग़ज़ल को किस बहर में कहा गया है। यदि लिपि अनुसार मात्रा गणना करें तो ‘कोई आया’ हमेशा 2222 होता है, परन्तु यदि व्यक्ति ‘कोई आया’ को उच्चरित करता है तो तुरंत पता चल जाता है कि पढ़ने वाले ने किस मात्रा अनुसार पढ़ा है 2222 अनुसार अथवा 2122 अनुसार। यदि हम कोई आया को 2122 गिनने पर ‘कोइ आया’ लिखना शुरू कर दें तो धीरे-धीरे लिपि का स्वरूप विकृत हो जायेगा और मानकता ख़त्म हो जायेगी, इसलिए ऐसा भी नहीं किया जा सकता है।
यहाँ यह भी जान लेना बहुत जरूरी है कि हम किन दीर्घ मात्रिक को गिराकर लघु कर सकते हैं और किन्हें नहीं कर सकते।
क्या हम लघु मात्रिक शब्द को उठाकर दीर्घ मात्रिक कर सकते हैं?
नहीं,बिलकुल नहीं! हम जैसे दीर्घ मात्रिक शब्द को गिराकर लघु मात्रिक करते हैं वैसे लघु मात्रिक शब्द को उठाकर दीर्घ मात्रिक नहीं कर सकते। यब बिलकुल बेढब होगा।
अब प्रश्न यह उठता है कि किन-किन शब्दों की मात्रा गिराई जाती हैं और किन-किन शब्दों की मात्रा नहीं गिराई जा सकती है। तो चलिए हम इसे विस्तार से समझे।
ग़ज़ल में किन शब्दों की मात्रा गिराई जाती है?
ग़ज़ल में दीर्घ शब्द की मात्रा गिराकर उसे लघु बनाया जाता हैं।
वैसे स्वतंत्र अवस्था में बिना किसी स्वर से जुड़े सभी अक्षर एक मात्रिक यानी लघु ही होते हैं जैसे-
क,ख,ग,घ,च,छ,ज,झ,ट,ठ,ड,ढ,त,थ,द,ध,न,प,फ,ब,भ,म,य,र,ल,व,श, ,ह ये सभीं अक्षर एक(1)मात्रिक यानी लघु अक्षर हैं।
और व्यंजन में अ इ उ और (चँद्रबींदू) हमेशा एक मात्रिक होते हैं।
दो मात्रिक अक्षर:- आ,ई,ऊ,ऐ,ओ,औ,अं ये सभी स्वर वर्ण दो मात्रिक हैं और इनसे जोड़कर जो भी अक्षर बनेंगे दो मात्रिक ही बनेंगे।
जैसे-
क+आ=का-2
क+ओ=को-2
ख+ए=खे-2
ग+ई=गी-2
त+ऊ=तू-2
अत:- का,को,खे,गी,तू ये सभी अक्षर दो मात्रिक हुए।
अब बात आती है किस अक्षर की मात्रा गिराई जा सकती है किस अक्षर की नहीं।
तो हम आपको बता दे- ऐ,औ,अं ये तीन स्वर की मात्रा किसी भी परिस्थिति में नहीं गिराई जा सकती और इनसे जुड़कर बने व्यंजन वर्णों की भी मात्रा नहीं गिराई जा सकती।
जैसे, कै,औ,कौ,अं,कं इनकी मात्रा कभी नहीं गिराई जाती है।
लेकिन जैसे-का,छो,बी,जू ,सी,ने ,ये, इत्यादि ऐसे और भी कई अक्षर हैं जिनकी मात्राएँ गिराई जा सकती हैं।
आज इतना ही फिर अगले भाग में मिलते हैं धन्यवाद।
एक बात और,आपलोग जब पढ़ रहे हैं तो अपना प्रतिकृया जरूर दे कुछ प्रश्न हो तो हमसे शेयर करे ताकि हमे भी पता चले क्या छूट रहा है जिस पे हम आपके लिए और विस्तार से अपने एपिसोड को तैयार कर सके।