रुबाईBy रचना की शैली / October 4, 2024 कि हम चाहें अगर तो इस जहाँ में क्या नहीं होता।मगर दिल बे- ग़रज़ कोई यहाँ अपना नहीं होता।सितम ये ज़िंदगी से कम नहीं होता ‘है’ दिल का भी,उसी को चाहता है जो कभी अपना नहीं होता। ©️ संदीप कुमार तिवारी’श्रेयस’
तुम जैसे यार हज़ारों हैं Leave a Comment / ©️संदीप कुमार तिवारी 'श्रेयस', छंद मुक्त कविता / By रचना की शैली