क़ता


कित’ने हिस्सों में  बट गई ज़िंदगी।
किस से जा के लिपट गई ज़िंदगी।
वक्त  सोचा  था  बीत  जाए  मगर,
वक्त कटना था कट  गई ज़िंदगी।

खुद से खुद को  तबाह कर ना है
ईश्क़  मतलब  गुनाह  कर  ना है
शख़्स जिसके  बिना  जिया  जाए
बस  उसी  से  निबाह  करना  है

            ©️संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’

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