क़ता

1.

दिल को है तिरे जिस पे अब नाज़ कभी मैं था।
तेरी  दुनिया  में  जो   है  आज   कभी   मैं  था।
यूँ   आज   जो   तेरी  सांसों  से  ये  गरजता  है,
धड़कन की तेरी वो हर  आवाज कभी  मै था।

2.

कांटो के ख़्वाब वालो को गुलसन नसीब है।
जो बे गरज़ हैं उनको ही  हमदम नसीब है।
तुमको मिले बहार  में पतझड़ तो  जान  लो,
ऐ यार  प्यार  वालो  को  ये  ग़म  नसीब  है।

3.

आ जाऊँ मैं निभाने पे तो ये साथ क्या है
मैं तो गला दे दूँ तुम को यार हाथ क्या है
वो जागता है दिन भर तुम यार पूछ लेना
आखें बताती हैं दिन की एक रात क्या है
जिस प्यार की मुझे यूँ किस्से सुनाती हो बारहाँ तुम
तुमको वही नहीं आता और बात क्या है

4.

तुम न चाहो वही  नहीं होता।
हार  जाना  सही  नहीं  होता।
हम बनाते हैं वक्त को अपना,
वक्त अपना कभी नहीं होता।

  ©️संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’

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