साहित्य-सागर
हे गिरधर,
ये प्रेम दीवानगी,
तुमपे मन वारा है,
जप माला,
संग दीपक जलाकर,
मन में उजियारा है।
नाम जाप,
नटवर नागर तेरा,
प्रेम ही सहारा है,
साथ यही,
नहीं धन और दौलत,
प्रियतम रसधारा है।।
~डाॅ•निशा पारीक