दीप दिवाली के जले, रोशन हो संसार |
वर्षण हो धन धान के, खुशियाँ अपरंपार ||
प्रीत मिलन जग रास की, एक दिवाली शाम|
मन से मन का मिलन ही, है सच्चा धन धाम||
रात अमावस की जगे, दीप जले दिन आस |
घर घर मंगल ही सजे, मीत हृदय के पास||
पाँच दिनों का पर्व है, पाँच रात त्यौहार|
धन तेरस दीपावली, दूज तिलक उपहार ||
©️ डॉ. निशा पारीक