ग़म ये दिल में पले और तू आए।
दिल की बस्ती जले और तू आए।
आईने की तरह सच कहे कोई,
फिर वो मुझको छले और तू आए।
थक के सोने लगे ज़िदगी मेरी,
मेरा दिन यूँ ढले और तू आए।
फिर भी तेरे सिवा है अगर कोई,
मुझको तू ही मिले और तू आए।
मेरे शिव हे पिता इस जहाँ से गर,
कोई लेके चले और तू आए।
©️ संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’