हम अपने होने ‘का’ दम भरते हैं।

दिल में गर्दिश-ए-चमन भरते हैं।
हम अपने होने ‘का’ दम भरते हैं।

खुश रह लेंगे आज दुःख है तो कल,
हर दिन खुद में यह वहम भरते हैं।

जिनके दामन में खुशी भर देते,
वो मेरे हिस्से सितम भरते हैं।

जितने हंसी बांटने हैं आते,
सब मेरी आँखों ‘में’ गम भरते हैं।

कोई अपना है, नहीं भी ‘श्रेयस’
हम अपना होने ‘का’ दम भरते हैं।

©संदीप कुमार तिवारी श्रेयस

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