लगता है बहुत गुमान रखते हैं।
अपनी मुट्ठी में हमारी जान रखते हैं।
बड़े बेख़बर होकर घूमते फिरते,
फिर आपके हम हैं ऐलान रखते हैं।
सताने का मौक़ा गवाँते नहीं कभी,
आँसु बहाने से दिल परेशान रखते हैं।
आँधी तूफ़ान चाहे जो हो ज़िंदगी में,
प्यार का हरा भरा गुलिस्तान रखते हैं।
सहेज लेते अपने जज़्बात सारे,
कुछ पूछो तो दिल बेज़ुबान रखते हैं।
सारी मुश्किलें अकेले झेल लेते,
मुझे परेशानियों से अनजान रखते हैं।
-प्रीति श्रीवास्तव