वो हमे याद आने लगे।

 

 

जब   कोई  भी  सताने  लगे।

वो   हमे    याद   आने   लगे।

 

आपको दिल दिया रहने को,

आप   तो   घर  बनाने   लगे।

 

क्या  सितम  है  बताए  कोई,

हम तो  समझे  भुलाने  लगे।

 

जब भी गुज़रे मज़ारों से हम,

हमको  मौसम  सुहाने  लगे।

 

कौन   है  जो  दुआ  दे  मुझे,

वक्त  पे   नींद   आने   लगे।

 

ज़िंदगी    है    तमाशा   बनी,

आप   भी   आज़माने   लगे।

 

मुफ़लिसी  चीज़ ही  ऐसी  है,

कोई   भी   दूर   जाने  लगे।

    

       ©️संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’

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