मेरा नाम 


मेरा नाम,एक गुमनाम शब्द 

या चहदीवारों से झाँकता एक जागता स्वप्न 

ढूँढ नहीं पा रहा। 

मेरा नाम खुद की एक पहचान !

यूँ तो सोंचता रहता,सपने सजाता 

रोज़ टूटते तारो से मन्नत माँगता 

कि मिल जाए मेरे नाम को भी एक पहचान। 

धू-धू कर जलता मैं, 

किसी पेड़ के नीचे। 

किसी सड़क किसी गलियारे में 

कि शायद उम्मीदन 

मिल जाएगा मेरे नाम को भी एक पहचान।

मेरा नाम।


-आशुतोष त्रिपाठी

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