मित्रता


मेरी चेतना का चिंतन तुम्हीं हो मित्रता की मिठास तुम्हीं हो !

प्रेम का अनुराग तुम्हीं हो मेरे  धैर्य की बची आस तुम्हीं हो !!

त्रिलोक के  स्वामी तुम्हीं हो  भक्तों के  भी आधीन तुम्हीं हो !

अंधेरी राह में संग चलता  मेरे दीपक का  प्रकाश तुम्हीं हो !!

ज़हर के  प्याले  में  मीरा  के  विश्वास  का  अमृत  तुम्हीं  हो !

द्रौपदी  के चीर  हरण की  पुकारती हुई  लाज भी तुम्हीं हो !!

इस धरा से  उस गगन  तक  हर  कण  में बैठें बस तुम्हीं हो !

मेरी चेतना का चिंतन तुम्हीं हो मित्रता की मिठास तुम्हीं हो !!


                 ~आशुतोष त्रिपाठी

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