नैन से नैन का ख़ुलासा है।
सब पता चल गया तू प्यासा है।
एक दिन साफ़ सब हो जाएगा,
जिस्म पे उम्र का कुहासा है।
मैं तो रोने लगा जब कहा दिल ने,
आसमाँ में तू भी घटा सा है।
वक़्त के साथ जो पलट जाए,
आदमी ही नहीं वो पासा है।
वो गया सब गया नहीं है कुछ,
कुछ है तो दिल में ग़म ज़रा सा है।
एक दिन वो जरूर आएगा,
दिल को दिल से मिरे दिलासा है।
रात बेघर हुई मुहब्बत में,
दिन मुहब्बत में अधमरा सा है।
©️संदीप कुमार तिवारी’बेघर