मत पूछ दूर मुझ से हो के किधर गया है।
मत पूछ दूर मुझ से हो के किधर गया है।
मैंने सुना है कोई दिल से उतर गया है।
जब बात उस’की होती है सब यहीं बताते,
वो छोड़ कर गया मुझ को तो सुधर गया है।
बस्ती अभी है खाली जो आ सके वो आए,
वो जो मिरे दिल में रहता था अपने घर गया है।
कोई रखे त’अल्लुक उस शख़्स से तो रख ले,
जो शख़्स अब नहीं मेरा सम’झो मर गया है।
साये तले मैं जिसको था बैठ याद करता,
वो वक्त आज रफ़्ता – रफ़्ता गुज़र गया है।
हैरान हूँ मैं वो पत्थर देख कर जमीं पर,
वो जो समेटता था सबको बिखर गया है।
फिर कौन दिल लगाता है इस जहाँ में ‘बेघर’,
ये सोच कर मिरा दिल भी अब ठहर गया है।
©️संदीप कुमार तिवारी ‘बेघर’
बहुत खूब
thanks