वफ़ा की राह कठिन है वहाँ न जाना तुम।
कभी किसी से मेरे दिल न दिल लगाना तुम।
जिधर भी प्यार कि बाते तुम्हें सुनाई दे,
नज़र बचा के उधर से ही लौट आना तुम।
कोई किसी का कभी भी यहाँ नहीं होता,
भरोसे पे न किसी के ये दिल जलाना तुम।
हैं घाव ऐसे भी जिनका दवा नहीं मिलता,
यकीं न हो तो कभी दिल पे चोट खाना तुम।
बुरा हो वक़्त तो सब अपने रूठ जाते हैं,
बुरा हो वक़्त कभी इस को आज़माना तुम।
बिछड़ के इश्क़ में कुछ लोग मर भी सकते हैं,
किया जो प्यार किसी से तो फिर निभाना तुम।
उसी का अंश है सब में बने हो तुम जिस से,
यहीं समझ के सभी को गले लगाना तुम।
©️संदीप