कब बदल दे कौन जाने है यहाँ पैसा किसी को।

 

तुमने देखा है कहीं भी   एक हीं  जैसा  किसी  को।

कब बदल दे कौन जाने है  यहाँ  पैसा  किसी  को।

 

वक्त मिलता भी नहीं रोने  का  मरने  पे  किसी  के,

मैंने देखा है,  हुआ  भी  है  कभी  ऐसा  किसी  को।

 

अब यकीनन ही बिछड़ जाएगा मुझसे वो कभी भी,

रात   सपने  में  गले  मिलते  हुए  देखा किसी  को।

 

लोग मिलते  हैं  मुहब्बत  में  बहुत  से  ऐ  मेरी  जाँ,

तुमने देखा है कभी क्या कोई मुझ जैसा किसी को!

 

आज़माना  है  जमाने  में  किसी  अपने  को  ‘श्रेयस’,

साथ देने को बुरा हो वक्त  तो  कहना  किसी  को।

 

                  ©️संदीप कुमार तिवारी ‘श्रेयस’

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