“कड़वा करेला”

“कड़वा करेला”

“बेटी के विवाह में अब बस कुछ ही दिन बचे हैं लेकिन मेरा मन बहुत घबरा रहा है जी!”

विवाह में आने वाले मेहमानों की लिस्ट तैयार कर रहे अपने पति अखिलेश जी के बगल में आकर बैठते हुए उनकी पत्नी रंजना ने चिंता जताई।

“इसमें घबराने जैसी क्या बात है!.सारे इंतजाम वक्त पर हो जाएंगे तुम चिंता मत करो!”

चिंता कैसे ना करूं जी!.मैंने बड़े भैया से कुछ रुपयों की मदद मांगी थी लेकिन उन्होंने अपनी मजबूरी बताकर मना कर दिया है! और बड़े भैया के इनकार के बाद अब छोटे भाई से रुपए की मदद मांगने की मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही है!”

“तुम यह सब रहने दो रंजना!.मैंने तो तुमसे पहले ही कहा था कि,.वह सब मैं अपने हिसाब से देख लूंगा,. सारा इंतजाम वक्त पर हो जाएगा!.तुम ईश्वर पर भरोसा रखो!”

“अब तक तो उन्हीं पर भरोसा रखा है जी!.लेकिन नाते रिश्ते भी तो वक्त पर काम आने चाहिए ना! मेरे बड़े भाई और भाभी अभी कुछ दिन पहले ही अपने बच्चों समेत अपने खर्चे पर विदेश घूमने गए थे,. लेकिन भगिनी के विवाह में खर्च करने के लिए उनके पास रुपए नहीं है। और वैसे भी मैं कौन सा उनसे रुपए यूंही खैरात में मांग रही हूंँ,.अरे भई कर्ज के रूप में मांग रही हूंँ तो कर्ज समझ कर वक्त पर लौटा भी दूंगी लेकिन नहीं!. उनके पास तो रूपए हैं ही नहीं!”

“रंजना तुम सोचती बहुत हो!.अब छोड़ो यह सब!.लो देखो यह विवाह में आने वाले मेहमानों की लिस्ट है!”

यह कहते हुए अखिलेश जी ने मेहमानों की एक लंबी लिस्ट अपनी पत्नी रंजना के सामने रख दिया। रंजना मेहमानों की लिस्ट में लिखे नाम एक-एक कर पढ़ रही थी। तभी रंजना की नजर खास मेहमानों की लिस्ट पर गई..

“आपने मेहमानों के लिस्ट में यह नाम क्यों जोड़ रखा है!.आप जानते हैं ना मुझे रघुवीर भैया के नाम से भी एलर्जी होती है!.और आपने तो उनका नाम खास मेहमानों के लिस्ट में जोड़ रखा है,.आप इस नाम को यहां से तुरंत हटाइए!”

“लेकिन तुम्हें रघुवीर भैया से दिक्कत क्या है!”

“मुझे उनका बात करने का तरीका बिल्कुल पसंद नहीं है! आप यह बात जानते हैं फिर भी पूछ रहे हैं!”

“देखो रघुवीर हमेशा से ऐसा ही रहा है!.हाँ मैं मानता हूंँ कि उसके बात करने का लहजा थोड़ा खारा है,.लेकिन वह बात बिल्कुल खरी करता है!”

“लेकिन मुझे अच्छे नहीं लगते ऐसी खरी खरी बात करने वाले करेले जैसे कड़वे लोग!.आपने कभी देखा है मेरे दोनों भाइयों में से किसी को मुझसे ताना देकर बात करते हुए? नहीं ना!.लेकिन आपके यह रघुवीर भैया तो हर बात पर आपको ताने मारते हैं और इनकी जुबान तो इतनी कड़वी है कि पूछो मत!”

“लेकिन रंजना मीठी मीठी बातें करने वाले लोग वक्त पर काम नहीं आते!.यह बात तुम इतनी जल्दी कैसे भूल गई!”

“ठीक है! माना लिया कि मीठी जुबान वाले मेरे भाई वक्त पर काम नहीं आए!.लेकिन तुम्हारे ये रघुवीर भैया हमारे कौन से काम आने वाले हैं!.इनकी कड़वी जुबान की वजह से ना तो इनका अपनी पत्नी के साथ कभी बना और ना ही अब बेटे और बहू के साथ इनकी पटरी बैठती है!.आपने कभी देखा है इन्हें अपने परिवार के साथ कहीं घूमने जाते हुए! नहीं ना?”

“माना कि ये तुम्हारे भाइयों की तरह अपने परिवार के साथ विदेश घूमने नहीं जाते!.लेकिन वक्त आने पर दोस्त रिश्तेदारों कि मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं!”

“मैं कुछ समझी नहीं! आप कहना क्या चाहते हैं?”

“यही कि,.हमारी बिटिया के विवाह की तैयारी में जो रुपए कम पड़ रहे थे उन रुपयों का इंतजाम रघुवीर भैया ने कर दिया है!.अब हमें चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है!”

अखिलेश जी यह बात बताते हुए अपनी पत्नी रंजना की ओर देख कर मुस्कुरा रहे थे। लेकिन रंजना के जुबान पर अचानक ताला लग गया था। रंजना को यकीन ही नहीं हो पा रहा था कि जिस इंसान के विषय में वह अभी इतना भला बुरा कह रही थी उसी इंसान ने अचानक उसके सर से एक बड़ा बोझ उतार दिया था।

                                                                                         पुष्पा कुमारी “पुष्प”

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