जीवन में रफ़्तार नहीं है।
तुझमें कोई धार नहीं है।
बस आगे बढ़ना भूल गया,
आदमी तू बेकार नहीं है।
बाधाएँ सफ़र में आएंगी।
घनघोर उदासी छाएंगी।
पर किसी के आगे झुकना मत,
कुछ पल भी डगर में रूकना मत।
इस पार या उस पार नहीं है।
कोई तेरा यहाँ यार नहीं है।
बस आगे बढ़ना भूल गया,
आदमी तू बेकार नहीं है।
मुश्किल की कोई घड़ी है,
कितनी देर तक अड़ी है?
माना कि दरिया तेज है बहती,
पर सुन तो तुमसे क्या है कहती!
तैरे तो पार हो जाओगे,
इतना भी मँझधार नहीं है।
बस आगे बढ़ना भूल गया,
आदमी तू बेकार नहीं है।
यहाँ जो भी तेरे अपने होंगे।
एक दिन सारे सपने होंगे।
उतना ही निज तुम बांधना बंधन।
हो खोने में ना जितना अड़चन।
जगत है मेला पल भर का,
इस में कोई सार नहीं है।
बस आगे बढ़ना भूल गया,
आदमी तू बेकार नहीं है।
जीवन में रफ़्तार नहीं है।
तुझमें कोई धार नहीं है।
बस आगे बढ़ना भूल गया,
आदमी तू बेकार नहीं है।
©️संदीप कुमार तिवारी